पर्यटकों को खूब पसंद है रोहतांग पास, क्या हैं खासियतें? कब और कैसे पहुंचें,

रोहतांग हिमालय का खास दर्रा, जो पर्यटकों के पसंदीदा ट्रैवल डेस्टिनेशनों में से एक है। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां मौज-मस्ती करने पहुंचते हैं। उत्तर में मनाली और दक्षिण में कुल्लू से 51 किलोमीटर दूर ये जगह मनाली-लेह के रास्ते में पड़ती है। इसे लाहौल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। अक्सर यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है। आइए जानते हैं यहां की खासियतों के बारे में


रोहतांग दर्रे से ही व्यास नदी का उदगम हुआ है। व्यास नदी का उद्गम स्थल व्यास कुंड के पानी का स्वाद तो अनुपम और अद्वितीय है। रोहतांग दर्रे के दक्षिण में व्यास कुंड बना हुआ है। कहा जाता है कि पौराणिक ग्रंथ महाभारत लिखने वाले महर्षि वेदव्यास जी ने यहां तपस्या की थी। उनकी स्मृति में यहां व्यास मंदिर भी बना हुआ है।
 रोहतांग दर्रा से हिमालय पर्वत श्रृंखला के विहंगम और मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं। यहां पर्वतों से नीचे की ओर बादल दिखाई पड़ते हैं, जिन्हें आप छू सकते हैं और महसूस कर सकते हैं। एडवेंचर पसंद पर्यटकों के लिए यह खास डेस्टिनेशन है। कारण कि यहां बर्फ पर स्कीइंग और ट्रेकिंग की अपार संभावनाएं हैं।
 रोहतांग पास जाने के लिए सबसे अच्छा समय जून से अक्तूबर तक का होता है। वहीं, नवंबर से अप्रैल के बीच ज्यादातर समय खराब मौसम के चलते रोहतांग दर्रा का संपर्क कटा हुआ होता है। रोहतांग दर्रा बर्फीली जगह है, इसलिए यहां जाने के लिए आप सर्दी में पहनने वाले कोट और जूते साथ रख लें या फिर आप चाहें तो मनाली-रोहतांग रास्ते में किराये पर भी कोट और जूते ले सकते हैं।
 कैसे पहुंचें, कहां ठहरें
रोहतांग पास जाने के लिए मनाली या कुल्लू से आप सवारी वाहन ले सकते हैं। अगर अपनी गाड़ी हो तो और भी अच्छा। मनाली यहां से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि रोहतांग पास में पर्यटकों के रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है। आप मनाली में ही किसी होटल में कमरा बुक कर सकते